सूर्य नमस्कार व 12 आसन
सूर्य उपासना भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व है सूर्य की उपासना या पूजा हमारे भारतवर्ष में सदियों से यह परंपरा चली आ रही है हम भारतीय सभी धर्म और संप्रदाय के लोग सदियों से सूर्य की उपासना करते आ रहे हैं यह त्योहारों में भी शामिल है विभिन्न प्रकार के लोग धर्म के लोग सूर्य की उपासना कहीं तरीके से करते आ रहे हैं भारतीय संस्कृति में दिवाली के बाद आने वाला पर्व छठ पूजा का बहुत महत्व है पूरे उत्तर भारत में यह त्यौहार हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है यह भी एक हमारे उत्तर भारतीयों की परंपरा का सूर्य उपासना का छठी पूजा का पर्व है यह त्यौहार पूरे भारत में सूर्य की उपासना आराधना करते हुए मनाया जाता है उसी प्रकार हमारी संस्कृति में शरीर स्वास्थ्य की भी सूर्य उपासना का महत्व है हमारे ऋषि मुनियों ने योग मुद्राओं को शामिल करते हुए सूर्य नमस्कार के प्रातः करने किए जाने वाले 12 आसन की योग साधना का विशेष महत्व बताया है।
सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार का अर्थ ही है सूर्य को अर्पण करना एक्सपर्ट का कहना है कि सुबह की शुरुआत इस आसन से करने से तन और मन दोनों की शुद्धि होती है शरीर को एनर्जी शक्ति प्रदान होती है पूरा दिन एनर्जी से फुर्ती से भरा रहता है प्रातः काल जब भी सूर्य नमस्कार करते हैं प्रतिदिन तो सबसे पहला फायदा सूर्य की कोमल किरणें अपने शरीर पर पड़ती है जिससे शरीर को पोषण मिलता है यही सूर्य की इश्क कोमल किरणों से सेबी वनस्पति फलती फूलती है यही पोषण व खुराक का मात्र स्वरूप है जीवन की शुरुआत है
सूर्य नमस्कार करते समय उसकी खास बात यह है की सूरज की किरने आसन करते वक्त शरीर के सभी अंगों को समान मात्रा में उसकी शक्ति वह तेज प्रदान करता है
स्वस्थ तन और मन के लिए योग सबसे अच्छा माध्यम माना जाता है वैसे तो बहुत सारे लोग होते हैं जिससे कई बीमारियों से बचा जा सकता है लेकिन हम आज आपको ऐसे योग के बारे में बताएंगे जिसे सूर्य नमस्कार भी कहा जाता है जानकारी थी आपको पता होगा सूर्य नमस्कार में कूल 12 आसन होते हैं उन्हीं में से 6 विधि को उल्टा दोहराया जाता है 6 आसन फिर दोबारा उल्टा वही 6 आसन दोहराया जाता है जिसमें सांस लेना और सांस को छोड़ना गहरा महत्व है वैसे थे और छे कुल 12 आसन में पूरा सूर्य नमस्कार की विधि दोहराई जाती है इन सभी 12 आसनों के शरीर पर अलग-अलग प्रभाव व फायदे समझाएं गए हैं इसमें सबसे पहले प्रणाम आसन दूसरा हस्त उत्तानासन तीसरा हस्तपदासना चौथा अश्व संचालन आसान, अधोमुखस्वानासन, अष्टांग नमस्कार आसन और भुजंगासन का समावेश होता है इस आसन को सुरेश की उपस्थिति में कोमल किरणों के सामने स्वच्छ और खुली हवा में आवारा जगह पर एकांत चित्र से सूर्य नमस्कार के सभी आसन किए जाते हैं।
आपको बता दें की यह आसन करते समय आपसे एक ही जगह पर फोकस करें मन एकाग्र करें। मन भटकता नहीं है वह ब्रेन फेक्शन बेहतर रहता है। इतना ही नहीं इन आसनों को करने से दिमाग स्वस्थ और तेज रहता है और आप तनाव से भी मुक्त होते हैं इतना ही नहीं शरीर में स्फूर्ति व एनर्जी आती है जिससे आप पूरे दिन सुरती से भरे रहते हैं
* सूर्य नमस्कार करने से कहीं रोगों में लाभ मिलता है।
नियमित रूप से प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करने से थायराइड ग्लैंड की क्रिया नॉर्मल होती है जिससे थायराइड में वह मानसिक तनाव में लाभ मिलता है। साथी शरीर के नर्वस सिस्टम को भी शांत करता है। अगर आपको नींद से जुड़ी समस्या है तो नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करने से अनिद्रा की समस्या में राहत मिलती है और नींद अच्छी आती है। विशेष रुपसे माताये, महिला की मासिक धर्म से जुड़ी समस्या प्रकृतिक रुपसे नियमित प्रति दिन सूर्य नमस्कार करने से पूरितरह इस समस्या को ठीक किया जासकता है। १२ आसन करते वक्त निम्नांकित नाम उच्चरण के साथ करना चाहिए जिसे हमारा शरीर व मन तेजोमय रुप भगवान से जूडा रहता है।
ॐ सूर्य नाराणाय नमः , ॐ आदित्याय नमः , ॐ खङगाय नमः ॐ मित्र आए नमः ॐ मित्राय नमः ॐ विप्राय नमः ॐ भास्कराय नमः ॐ पुष्णेय नमः ॐ हिरण्यगर्भाय नमः ॐ मरीचये नमः ॐ भानवेय नमः ॐ सवितयेय नमः
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